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पुत्रदा एकादशी व्रत आज 30 July 2020

Writer's picture: Vedmata Gayatri J & D Kendra Vedmata Gayatri J & D Kendra

पुत्रदा एकादशी व्रत आज 30 जुलाई को है। यह व्रत हर साल श्रावण माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति एवं संतान से जुड़ी अन्य समस्याओं के निवारण के लिए रखा जाता है। इसके अलावा पुत्रदा एकादशी व्रत से धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। यह एकादशी बहुत ही फलदायी होती है। यह व्रत निर्जल और जलीय अथवा फलाहार सहित दोनों प्रकार से रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुछ चीजों को करने की मनाही है। आइए, आज जानते हैं इस दिन क्या नहीं करना चाहिए...

Putrada Ekadashi 2020: पूरे वर्ष में कुल मिलाकर 24 एकादशी के व्रत पड़ते हैं। श्रावण मास में पड़ने वाली एकादशी का बहुत महत्व होता है। इस व्रत में श्री हरि विष्णु की पूजा आराधना की जाती है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। सच्चे मन से यह व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है,जिन लोगों को किसी भी प्रकार की संतान संबंधी समस्या हो उन्हें यह व्रत अवश्य रखना चाहिए। इस बार श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 जुलाई को पड़ रहा है। साल में दोबार पुत्रदा एकादशी आती है, दूसरी पुत्रदा एकादशी का व्रत पौष माह में पड़ता है।

पुत्रदा एकादशी का महत्व

पुत्रदा एकादशी व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के बराबर पुण्यफल की प्राप्ति होती है, जिन लोगों की संतान नहीं है उन लोगों के लिए यह व्रत बहुत शुभफलदायी होता है, भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होती है। अगर संतान को किसी प्रकार का कष्ट है तो भी यह व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं। संतान दीर्घायु होती है। जो लोग पूरी श्रद्धा के साथ पुत्रदा एकादशी व्रत के महत्व और कथा को पढ़ता या श्रवण करता है। उसे कई गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है। समस्त पापों का नाश हो जाता है।

पूजा करने का शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि का आरंभ 30 जुलाई को 01:16 AM मिनट पर होगा।

एकादशी समाप्ति 30 जुलाई को 11:49 PM मिनट पर होगी।

व्रत के पारण का समय 31 जुलाई की सुबह को 05:42 बजे से 08:24 बजे तक रहेगा।

पारण के दिन द्वादशी तिथि 10:42 PM पर समाप्त हो जाएगी।

एकादशी व्रत निर्जला किया जाता है लेकिन क्षमता के अनुसार इसे जल के साथ भी किया सकता है। संध्या के समय फलाहार कर सकते है। अगर आपको एकादशी का व्रत रखना है, तो दशमी तिथि से ही सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। एकदशी के दिन सुबह स्नानादि करके भगवान के समक्ष व्रत का संकल्प लें। तत्पश्चात श्री हरि विष्णु की पूजा करें। एकदशी तिथि को पूर्ण रात्रि जाग कर भजन-कीर्तन और प्रभु का ध्यान करने का विधान है। द्वादशी तिथि को सूर्योदय के समय शुभ मुहूर्त में से विष्णु जी पूजा करके किसी भूखे व्यक्ति या ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। और दक्षिणा देनी चाहिए। उसके बाद व्रत का पारण करना चाहिए। व्रत में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन भी करना चाहिए। जानते हैं क्या है पूजा विधि..

सुबह उठकर स्नानादि करके स्वचछ वस्त्र धारण करे और पूजाघर में श्री हरि विष्णु को प्रणाम करके उनके समक्ष दीपक प्रज्वलित करें। और व्रत का संकल्प करें। धूप-दीप दिखाएं और विधिवत विष्णु जी की पूजा करें, फलों, नैवेद्य से भोग लगाएं और अंत में आरती उतारें। विष्णु जी को तुलसी अति प्रिय है इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें। शाम के समय कथा पढ़े या सुनें।


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