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गोपद्म व्रत

Writer: Vedmata Gayatri J & D Kendra Vedmata Gayatri J & D Kendra

स्नान करून देव घरात वा तुळशीपुढे ३३ गोपद्म

काढून त्याची पूजा करावी. कार्तिक शुक्ल एकादशीपर्यंत ४ महिने रोज करण्याचे हे व्रत आहे. व्रतारंभ 2 जुलै 2020 गुरुवार.


शास्त्रानुसार आषाढ़ मास मे रखे जाने वाले गोपद्म व्रत की विशेष विधि है। गोपद्म व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हालांकि देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार मास तक के लिये सो जाते हैं लेकिन गोपद्म व्रत के दिन उन्हीं की पूजा की जाती है। इसके लिये व्रती को प्रात:काल उठकर स्नानादि के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिये। व्रत के पूरे दिन भगवान श्री विष्णु में ध्यान लगाये रखना चाहिये। उनके चतुर्भुज रूप का स्मरण करना चाहिये जिसमें वे गरूड़ पर सवार हों और संग में माता लक्ष्मी का भी ध्यान लगाना चाहिये। समस्त देवी-देवता उनका स्तुतिगान कर रहे हैं उनकी आराधना कर रहे हैं ऐसा सोचना चाहिये। धूप, दीप, पुष्प, गंध आदि से विधिनुसार पूजा करनी चाहिये। भगवान श्री हरि के पूजन के पश्चात विद्वान ब्राह्मण या किसी जरूरदमंद को भोजन करवाकर सामर्थ्यनुसार दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करना चाहिये।


मान्यता है कि यदि पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन किया जाये तो इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं एवं व्रती की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। संसार में रहते समस्त भौतिक सुखों का आनंद लेकर अंत काल में व्रती को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 
 
 

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