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Dhantrayodashi Yamadeepdaan धनत्रयोदशी यमदीपदान 2024

Updated: Oct 29, 2024

द्वादशीला आरंभ करून पांच दिवसपर्यंत पूर्वरात्री नीरांजन विधि करावा असे नारदांनी सांगितलं आहे. "देव, ब्राह्मण, गाई, अश्व, ज्येष्ठ, श्रेष्ठ, कनिष्ठ यांना माता व इतर सर्व स्त्रियांनी ओवाळावे." अपमृत्यूचा नाश होण्याकरितां त्रयोदशीच दिवशी रात्रीचे आरंभी घराबाहेर यमाकरितां दिवा लावावा. याच त्रयोदशीला आरंभ करून गोत्रिरात्र व्रत करावें.

नारद—“अश्विनकृष्णद्वादशीपासून कार्तिकशुद्धप्रतिपदेपर्यंत पांचदिवस पूर्वरात्री नीरांजन विधि सांगितला आहे तो असा देव, ब्राह्मण, गाई, घोडे,ज्येष्ठ, श्रेष्ठ,लहान या सर्वांस मातृप्रमुख स्त्रियांनी ओवाळावे ."

निर्णयामृतांत स्कांदांत - या दिवशी घराबाहेर  दक्षिण दिशेला वात  पेटवून यमाला दीप द्यावा, तेर्णेकरून अपमृत्यूचा नाश होतो." याचा मंत्रः "मृत्युना पाशदंडाभ्यां कालेन श्यामया सह ॥ त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यजः प्रीयता मम." 

💐 धन तेरस की शुभकामना 💐


💥💥💥💥💥💥💥💥

`ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर।

भूरिरेदिन्द्र दित्ससि।

ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्।

आ नो भजस्व राधसि।।

ऋग्वेद (4/32/20-21)

 

भावार्थ : हे लक्ष्मीपते ! आप दानी हैं, साधारण दानदाता ही नहीं बहुत बड़े दानी हैं। आप्तजनों से सुना है कि संसार भर से निराश होकर जो याचक आपसे प्रार्थना करता है, उसकी पुकार सुनकर उसे आप आर्थिक कष्टों से मुक्त कर देते हैं - उसकी झोली भर देते हैं। हे भगवान, अर्थ संकट से मुक्त कर दो।


ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

 

अर्थात् परम भगवन को, जिन्हें सुदर्शन वासुदेव धन्वंतरि कहते हैं, जो अमृत कलश लिए हैं, सर्व भयनाशक हैं, सर्व रोग नाश करते हैं, तीनों लोकों के स्वामी हैं और उनका निर्वाह करने वाले हैं; उन विष्णु स्वरूप धन्वंतरि को सादर नमन है।


धनधान्य से कुबेर की कृपा रहे

स्वस्थ जीवन पर धन्वंतरि की कृपा रहे

आप और आपके परिवार को धनतेरस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं

🙏🙏🌹 जय सियाराम 🌹🙏🙏

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